Monday, 30 November 2020

नानक न गिरे ज़ुल्म के आगे,

नानक नाम से हर ज़ुल्मी भागे,

न रूके कृपाण तब तलक,

जब तलक सूरज अमन का न जागे


गुरू नानक जयंती की हार्दिक शुभकामनाएँ 

कवि मनीष 

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Sunday, 29 November 2020

नीज मन में जाके भरे मैल,

ओके रहे सबसे बस बैर,

साईं संग जे प्रीत निबाहे,

ओके समझे ना कउनो ग़ैर 


कवि मनीष 

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Saturday, 28 November 2020

राम नाम संपूर्ण सृष्टि में गूंजे,

हर पावन जन श्री राम के पूजे,

ऐसा निराला है वो सीता मनबसिया,

धरती के कण-कण  में बस राम नाम हीं सूझे 


कवि मनीष 

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Friday, 27 November 2020

रोम-रोम मोर पुलकित होवे,

राम नाम के जहाँ सुमिरन होवे,

प्रकट हो जाए वहाँ बजरंगी,

प्रभु राम के जहाँ पूजन होवे


कवि मनीष 

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Thursday, 26 November 2020

फूलों नें बनाई सेज बहार की,

गगन नें पुष्पों की बौछार की,

जब राधा-कृष्ण नें किया श्रृंगार,

तब चद्रंमा नें अपनें शीतल किरणों की बौछार की 


कवि मनीष 

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ख़ून से रंग चुकी थी धरती,

जीवन मौत के चंगुल में थी फंस गई,

तब शौर्य से लिखी वीरों नें,

मानवता की एक नई कहानी


ये रचना मैंनें २६/११ पर लिखी है ।

कवि मनीष 

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Wednesday, 25 November 2020

करते हैं जो परिश्रम उनको है मिलती कामयाबी ज़रूर,

जो चलते हैं सही दिशा थाम कर उन्हें मिलती है मंज़िल ज़रूर,

और जो करते हैं आराधना शिव की,

उनके जीवन की कश्ती लगती है किनारे ज़रूर


कवि मनीष 

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Tuesday, 24 November 2020

चंद्रमा की किरणें जो पड़ीं तो हो गईं वो भी और शीतल,

साथ है रहती जिसके ज्वाला और जल पल पल,

है बड़ा हीं अलौकिक,अद्भुत रूप उसका,

कहती है जिसे जगदम्बा सारी सृष्टि,अग्नि,वायु,गगन,जल और थल


कवि मनीष 

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Monday, 23 November 2020

मैं हूँ समन्दर और तू किनारा है,
जनम-जनम का साथ हमारा है,
मैं हूँ पवन तो तू है सुगन्ध,
मैं तेरा और तू मेरा सहारा है 

कवि मनीष 
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Sunday, 22 November 2020

बिन तेल न जले दीपक,

बिन दिवाकर न होवे सहर,

बिन भक्ति न जले प्रभु ज्योति,

अ बिन भक्ति जीवन बन जाए ज़हर 


कवि मनीष 

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Saturday, 21 November 2020

गंगा जल से पावन है कछु नाही,

बिन गंगा माई के कोई न पूजन होई,

गंगा माई बाटे महादेव के सिरमौर,

बिन गंगा माई के गंगाधर भी प्रसन्न होवे नाही


कवि मनीष 

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होती है मानवता हर धर्म से ऊपर,

जो समाता है इसको भीतर अपनें वो बन जाता है परमेश्वर,

है साईं मानवता का हीं रूप,

सो दुनिया पूजती है उन्हे साईं बाबा कहकर 


कवि मनीष 

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Friday, 20 November 2020

प्रभु संग प्रीत मोहे अईसे लागी,

सुद-बुद मोरे बस में नाही,

छोर है नाही कोई गगन के जईसे,

वईसे मोर भक्ति के अंत नाही


कवि मनीष 

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Thursday, 19 November 2020

सन ५७  की मिसाल वही,

है चमकती तलवार वही,

युद्ध की रक्त रंजित धरा पर,

सबसे ऊँची है हुंकार वही,


थें अश्व,गज जिसके मित्र,

है जिसका सबसे ऊँचा चरित्र,

चमचमाती भानु के किरणों की,

है अद्भुत तेज वही,


सर कटा कर जो भी न गिरे,

है ऐसी अडिग चट्टान वही,

है नारी की कोमलता,

पर करती है संहार वही,


है स्वाभिमान ऊँचा जिसका सबसे,

ऐसी अटल है पर्वत शिखा वही,

हैं तो वीरांगनाएँ बहोत पर,

पर रानी लक्ष्मीबाई सा कोई नहीं


सन ५७ की मिसाल वही,

है चमकती तलवार वही,

युद्ध की रक्त रंजित धरा पर,

सबसे ऊँची है हुंकार वही 


कवि मनीष 

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अगर नारी है फूल,

तो पुरूष है शूल,

बग़ैर शूलों के फूल रहता नहीं सुरक्षित,


सरलता से तोड़ कर उसे ले जाता है,

कोई भी पंथी,

नारी अगर सुंदरता है,

तो पुरूष आईना है,


बग़ैर इस आईनें के,

सुंदरता नहीं किसी काम की,

वो सुंदरता है, बस नाम की,


नारी अगर है अपराजिता,

तो पुरूष भी है त्रिशूल,


है अगर नारी फूल,

तो पुरूष है शूल,

बग़ैर शूलों के फूल रहता नहीं सुरक्षित,


सरलता से तोड़ कर उसे ले जाता है,

कोई भी पंथी


कवि मनीष 

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Wednesday, 18 November 2020

जय हो छठी माई,

जय हो छठी माई,

आसीस आपन सब पर,

बरसईया हो माई,


जय हो छठी माई,

जय हो छठी माई,


आवे से तोहार,

रौनक छाईल सगरो,

जईसे सूरूज देव के,

ललिया छाई ला सगरो,


होवेला जहाँ पूजन तोहार,

ओजा कउनो न मुरझाई,


जय हो छठी माई,

जय हो छठी माई,


जय हो छठी माई,

जय हो छठी माई,

आसीस आपन सब पर,

बरसईया हो माई,


जय हो छठी माई,

जय हो छठी माई ,


जय हो छठी माई,

जय हो छठी माई 


आप सभी को महापर्व छठ की असीम शुभकामनाएँ 

कवि मनीष 

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माई के चुनरी में समाईल बाटे सब रंग,

माई के साथ चलेला सारा जग संग-संग,

जेके मन में बसेला माई के निर्मल छवि,

माई के आशीष चलेला ओके संग-संग


कवि मनीष 

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Tuesday, 17 November 2020

रोम-रोम में हैं बसे मोरे राम,

हिर्दय में हैं बसे मोरे राम,

जेके हिर्दय में राम बसे,

ओके हिर्दय स्वतः विराजे हनुमान


कवि मनीष 

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Monday, 16 November 2020

प्रेम हीं है बस एक सहारा जीवन का,

है नहीं दूजा कोई किनारा जीवन का,

है जिनके दिल में स्नेह माता रानी के लिए,

बन जाता है वो नज़ारा जीवन का


कवि मनीष 

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Sunday, 15 November 2020

जब पड़ी बरखा के बूंद भक्तन पर,

उठा दियो गोवर्धन कनिष्ठा पर,

भक्तन के आह के क्षण भर में है जे सुने,

पूजे समस्त जगत् ओके किशन-कन्हैया कह कर


गोवर्धन पूजा की अनंत शुभकामनाएँ 

कवि मनीष 

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Saturday, 14 November 2020

दीपावली मनाओ सुहानी,

जलाओ प्रेम के दीप,

लिखो स्नेह की कहानी,


दीपावली मनाओ सुहानी,


है ये पर्व चैन ओ अमन के लिए,

जैसे साईं का चमत्कार,

है जन-जन के लिए,


है दिवाली का त्यौहार,

बहाता खुशियों की निर्मल गंगा,

जैसे साईं है बहाता,

आशाओं की गंगा,


दीपावली है इबारत,

प्रेम की जानी-पहचानी,

दीपावली मनाओ सुहानी,


दीपावली मनाओ सुहानी 


कवि मनीष 

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बचपन की तो है बात निराली,

न कोई चिंता और न कोई ज़िम्मेदारी,

हर पल बितता है बेफ़िक्री के साथ,

जीवन में महकती रहती हरवक्त रात रानी


बाल दिवस की शुभकामनाएँ 

कवि मनीष 

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Friday, 13 November 2020

दीपों से जगमगा जाता है सारा संसार,

चारों ओर है फैल जाता वसंत-बहार,

आप सभी को माता लक्ष्मी और भगवान गणेश के पूजन का ये पर्व मुबारक हो,

मुबारक हो आप सभी को दीपावली का ये त्यौहार 



कवि मनीष  

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Thursday, 12 November 2020

रहे प्रसन्नचित्त हर वक्त आपका घरबार,

धन-धान्य से भरा रहे आपका घरबार,

रहे स्वर्णिम हर क्षण आप सभी का,

मुबारक हो आप सभी को धन तेरस का त्यौहार


कवि मनीष 

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Wednesday, 11 November 2020

 दिवाली की सफ़ाई 

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दिवाली की सफ़ाई,

बड़ी है ज़ालिम होती भाई,

सारे काम-काज़ छुड़वाकर,

करवाती है अनचाही कसरत भाई,


दिवाली की सफ़ाई,


जिसका है जितना बड़ा घर,

उसकी है होती उतनीं हीं बदन खिंचाई,

मन तो है होता प्रसन्न,

क्योंकि घर की सफ़ाई है होती भाई,


इसी कारण ये अनचाही मेहनत भी,

भरती है रंग-बिरंगी आशाएँ भाई,

यही है होती दिवाली की सफ़ाई,


दिवाली की सफ़ाई,

दिवाली की सफ़ाई,

बड़ी है ज़ालिम होती भाई ,

सारे काम-काज़ छुड़वाकर,

करवाती है अनचाही कसरत भाई 


कवि मनीष 

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Tuesday, 10 November 2020

है चलती परछाईं इंसान की साथ उसके हरघड़ी,

मिलती है सफ़लता उनको ज़रूर जो हैं करते मेहनत कड़ी,

हैं जो चलते हरदम सही दिशा में,

उनको है मिलती रहमत साईं की बेहद बड़ी


कवि मनीष 

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Sunday, 8 November 2020

राम नाम है बसो मोरे रोम-रोम में,

हर क्षण है बीते बस प्रभु के नेह में,

प्रभु मोरे हैं स्वामीं सर्वस्व के,

है सृष्टि पले मोरे प्रभु के स्नेह से


कवि मनीष 

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Thursday, 5 November 2020

भुजाओं में शक्ति है अपार,

मचा दे जो शत्रुओं में हाहाकार,

है वो बजरंगी,बजरंगबली,

जो है मानवता का सार,


जो कर दे रात को सवेरा,

पल भर में दूर कर दे अंधेरा,

है जो ज्ञान का भण्डार,

जो है फैलाता उजियारा हीं उजियारा,


है जो चमत्कारों का चमत्कार,


भुजाओं में शक्ति है अपार,

मचा दे जो शत्रुओं में हाहाकार,

है वो बजरंगी,बजरंगबली,

जो है मानवता का सार 


कवि मनीष 

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Wednesday, 4 November 2020

भूख-प्यास सब त्याग कर है इंतज़ार में,

निकलेगा जब चाँद आएगी तब चमक संसार में,

है सुहागन,पतिव्रता की बस यही कामना,

दिखे सुहाग बस हर रोज़ घर-बार में 


रचना करवा चौथ पर

कवि मनीष 

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Tuesday, 3 November 2020

मुस्कुरा कर जो पी जाये प्याला विष का,

जो बतला जाए सच्चा अर्थ प्रेम का,

है सोंच उसकी ऊँची जैसे गगन विशाल,

है उसकी हार भी फ़लसफ़ा जीत का


कवि मनीष 

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प्रेम जब पहुँचे हिर्दय की गहराई तक, पराकाष्ठा पहुँचे उसकी नभ की ऊँचाई तक, प्रेम अगर रहे निर्मल गंगा माई के जैसे, वो प्रेम पहुँचे जटाधारी के ...