Monday 31 August 2020

 जानें वाले को कौन रोकता है,

जाना हीं होता है उसे जब मौत का बुलावा आता है


कवि मनीष 

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 वसंत-बहार की लहर चली,

जब अम्बे की टोली चली,

गुंजायमान हुआ गगन सारा माँ के जयकारे से,

लगी गई आशीषों की झड़ी 


कवि मनीष 

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Sunday 30 August 2020

 पेड़ों से भरा वो गाँव था मेरा,

जीवन से भरा वो गाँव था मेरा,

शीतल पूर्वा बहती थी जहाँ,

गर्मियों में भी ठंड रहती थी वहाँ,


जहाँ होता था महकता हर सवेरा,

रात के चादर पे रहता था चाँदनीं का बसेरा,

पेड़ों की छाँव से था भरा गाँव मेरा,

पेड़ों से भरा वो गाँव था मेरा,


पर अब वहाँ वो बात न रही,

वो मटके की सौंद्धि सुगंध न रही,

शहरों नें कर लिया है उसपे भी क़ब्ज़ा,

वो महकती सुबह,दिन,शाम व रात न रही,


बाज़ारीकरण की इस दुनिया में,

प्रेम में निश्छलता न रही,

कहना मेरा तो है बस इतना हीं,

गाँव को गाँव हीं रहनें दो,


आधुनिकरण करना कोई ग़लत बात नहीं,

पर उससे किसी की निश्छलता मत छीनों,

क्योंकि मासूमियत तो है इक सौगात बड़ी,


बस इतना हीं कथन था मेरा,


पेड़ों से भरा वो गाँव था मेरा,

जीवन से भरा वो गाँव था मेरा,

शीतल पूर्वा बहती थी जहाँ,

गर्मियों में भी ठंड रहती थी वहाँ 


कवि मनीष 

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Friday 28 August 2020

 

तारों से भरा आकाश है ले आता अंधियारे में बहार,
फूलों से भरा बाग है ले आता सुगंध की बहार,
है जो करता पालन मानवता का,
करता है साईं उसका बेड़ा पार

कवि मनीष
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Thursday 27 August 2020

 सारा जग करता है आराधना उसकी,

भर देती है वो झोलियाँ सबकी,

हिर्दय में बसाकर जो रखते हैं उसको,

करती है जगदम्बा बेड़ा पार उसकी


कवि मनीष 

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Wednesday 26 August 2020

 इंसानियत का है राज़ एहसास,

है वही इंसान ये है जिसके पास,

यही बनाता है आदमीं को ख़ुदा,

चलता है क़ायनात उसके साथ-साथ


कवि मनीष 

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Tuesday 25 August 2020

 एक खूबसूरत एहसास है प्रकृति,

हर एहसास से बेहद ख़ास है प्रकृति,

जब मिलता है भरपूर स्नेह इसको,

एक चमकती सुबह,दिन,शाम,रात है प्रकृति 


कवि मनीष 

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Monday 24 August 2020

 कंकड़ को बना दे पत्थर,

बूंद को बना दे सागर,

है शक्ति उसमें इतनीं,

मृत्यु को भी कर दे निरउत्तर


कवि मनीष 

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Sunday 23 August 2020

 मैंनें पूछा श्याम से तू रहता है कहाँ,

तू रहता है कहाँ,

उसनें कहा जहाँ है बंसी की तान मैं रहता हूँ वहाँ,

मैं रहता हूँ,वहाँ,


मैंनें पूछा श्याम से...


जब खिलती है कली मैं रहता हूँ उसमें,

जब महकता है सुमन मैं बसता हूँ उसमें,

जब बरसता है बादल,

मैं रहता हूँ उसमें,


जहाँ तक है अम्बर मैं हूँ वहाँ,


मैंनें पूछा श्याम से तू रहता है कहाँ,

तू रहता है कहाँ,

उसनें कहा जहाँ है बंसी की तान मैं रहता हूँ वहाँ,

मैं रहता हूँ वहाँ 


गीत

कवि मनीष 

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Friday 21 August 2020

 एकदंत,गजानन,गणाधिप,लम्बोदर,

है जबतक सृष्टि अनंत,

तेरी सदा जय हो,

जब तक रहे तारों का अम्बर,


तेरी सदा जय हो,


हर क्षण तेरी महिमा मंडन हो,

तेरा मुख सदा हर जन का दर्पण हो,

सर्वप्रथम पूजनीय विधाता,

तेरी सदा जय हो,


एकदंत,गजानन,गणाधिप,लम्बोदर,

है जबतक सृष्टि अनंत,

तेरी सदा जय हो,

जब तक रहे तारों का अम्बर,


तेरी सदा जय हो 


कवि मनीष 

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Wednesday 19 August 2020

 मन बनें उपवन,बनें अति पावन,

तान छेड़े जब राधा,कृष्ण के संग-संग,

बनें सुरों की ऐसी माला,

बन जाए जिससे सुरों का महा संगम


कवि मनीष 

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Tuesday 18 August 2020

 हर उपवन में सबसे अधिक जो महकता है,

आकाश में सबसे अधिक जो चमकता है,

वो साईं की है कृपा,

मिलती है हिर्दय से याद उसे जो करता है 


कवि मनीष 

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Monday 17 August 2020

 हे कृष्ण जब तू बंसी बजाए,

तेरी तान सब को लुभाए,

पर मेरे हिर्दय को,

तेरे बंसी ख़ूब रूलाए,


कहे मीरा कृष्ण से,

स्वप्न में दियो मोहे दर्शन,

क्यों सच में न समीप आए,


शूलों पर चली मैं,

और दिया सर्वस्व लुटाए,

पर जीते जी तू मुझको मिला न,

तो मैंनें मृत्यु को लिया गले लगाए,


आज समस्त संसार मोहे,

तुझसे जोड़ के मोहे बुलाए,

यही तो थी मोरे जीवन की कामना,

सो अब मोरा जीवन मोहे भाए,


हे कृष्ण जब तू बंसी बजाए,

तेरी तान सब को लुभाए,

पर मेरे हिर्दय को,

तेरी बंसी ख़ूब रूलाए 


कवि मनीष 

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Friday 14 August 2020

 स्वतंत्रता दिवस की मुबारक़बाद,

रहे हमारा देश हमेशा आबाद,

स्वतंत्र आकाश में सदा लहराए,

हमारा तिरंगा बार-बार,


धानीं चुनर सदा ओढ़े रहे धरती सदा हमारे वतन की,

सदा लहराती रहे चुनर भारत माता की,

कभी कम न हो हमारे राष्ट्र का सम्मान,

हर सुबह हो निराली,चमकदार हो हर रात,


स्वतंत्रता दिवस की मुबारक़बाद,

रहे हमारा देश हमेशा आबाद,

स्वतंत्र आकाश में सदा लहराए,

हमारा तिरंगा बार-बार


कवि मनीष 

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Thursday 13 August 2020

 कर्म पे जो करतें हैं भरोसा,परमेश्वर उसके साथ रहते हैं,

जो मन में रखते नहीं द्वेष-क्लेश,परमेश्वर सदा उनके साथ रहते हैं 


कवि मनीष 

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Tuesday 11 August 2020

 आया जन्माष्टमी का त्यौहार,

बिखरे हरसू पुष्प हज़ार,

आया जन्माष्टमी का त्यौहार,


मन गाए मीठे राग,

सारी सृष्टि बजाए मधुर साज़,

किशन-कन्हैया के आगमन में,

सारी सृष्टि नें किया अद्भुत श्रृंगार,


चारों तरफ़ छाई गई,

बहार हीं बहार,


आया जन्माष्टमी का त्यौहार,

बिखरे हरसू पुष्प हज़ार,

आया जन्माष्टमी का त्यौहार 


श्री कृष्ण जन्माष्टमी की अनेकों शुभकामनाएँ 

कवि मनीष 

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Monday 10 August 2020

 हिली जो शाख पेड़ की,

बनी पवन वजह उसके खुशी की,

दर्पण तो है बस वो,

जिसमें दिखती है छवि सीता-राम की


कवि मनीष 

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Saturday 8 August 2020

  

वो बनकर चाँद एकटक हमें देखतें हैं,

हम शायद उनकी निगाहों में रहतें हैं,

बनके बादल वो तो हैं ऊपर हमारे मंडराते रहते,

हम शायद उनके ख़्वाबों-ख़्यालों में रहतें हैं 


कवि मनीष 

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Thursday 6 August 2020

है जिसके अनगिनत हाथ,
वो रहेगा हर-पल तेरे साथ,
निर्मल है अगर तू,
छोड़ेगा वो नहीं कभी तेरा हाथ

कवि मनीष 
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Wednesday 5 August 2020

सत्य की ज़मीन सत्य को मिली,
सूरज को फिर से उसकी रोशनीं मिली,
अयोध्या बनीं फिर से अजेय,
राम लला के पैरों को कर स्पर्श आज अयोध्या को उसकी खोई पहचान मिली

श्री जन्म भूमि पूजन पर रचना
कवि मनीष 
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Tuesday 4 August 2020

न आएगा फ़नकार कोई तेरे जैसा,
न आएगा कलाकार कोई तेरे जैसा,
कला रहेगी सदा तेरी ॠणी,
न करेगा चमत्कार कोई तेरे जैसा 

महानतम कलाकार किशोर कुमार पर लिखी मेरी रचना
कवि मनीष 
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Monday 3 August 2020



बड़ा हीं पुराना है ये बंधन,
युगों-युगों से है चला आ रहा ये त्यौहार अति पावन,
भाई-बहन का है ये त्यौहार अनोखा,
है ये अटूट रक्षा का रक्षा बंधन 

कवि मनीष 
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Sunday 2 August 2020

यादों में अक्सर जो आतें हैं,
वो हँसाते व रूलाते हैं,
पर जिनके यादों से है ज़िंदा जीवन,
वो साईं के भक्त कहलातें हैं 

कवि मनीष 
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Saturday 1 August 2020

है आसमान से बड़ा आँचल जिसका,
है ममतामई हाथ सबपर जिसका,
लगातीं हैं बेड़ा पार सबका जो,
करो जय जयकार सब भक्तों उनका

कवि मनीष 
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प्रेम जब पहुँचे हिर्दय की गहराई तक, पराकाष्ठा पहुँचे उसकी नभ की ऊँचाई तक, प्रेम अगर रहे निर्मल गंगा माई के जैसे, वो प्रेम पहुँचे जटाधारी के ...