Tuesday 31 March 2020


जय माता की,
सारे जग की माँ,
अपनीं शक्ति से सारे,
जग को बचानें वाली,
जय माता भवानीं की,

दरबार में तेरे है लगता
ताँता भक्तों का,
तू मुरादें हैं पूरी करती,
अपनें सच्चे भक्तों का,
सारे जग पे प्रेम सुमन बरसानें वाली,
जय मईया शेरोवाली की,

जय माता की,
सारे जग की माँ,
अपनीं शक्ति से सारे,
जग को बचानें वाली,
जय माता भवानीं की 

कवि मनीष 
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Monday 30 March 2020

हर संकट से बचानें वाले,
देवों के देव महादेव की जय हो,
कोप से पापियों को जलानें वाले,
महेश्वर की जय हो,

जीवन के सागर में जब है,
मिलता गंगा जल,
तब बहती है शिव धारा कल-कल,
हलाहल पान कर सारे जग को बचानें वाले,
त्रिशूलधारी की जय हो,

हर संकट से बचानें वाले,
देवों के देव महादेव की जय हो,
कोप से पापियों को जलानें वाले,
महेश्वर की जय हो 

कवि मनीष 
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Sunday 29 March 2020


संकट मोचन,
राम दुलारे,
जय बजरंगी,
हम हैं भक्त तुम्हारे,

अपनें मुख से,
सूर्य निगलनें वाले,
दुरात्माओं का अंत करनें वाले,
संकट से हमको मुक्ति देनें वाले,

संकट मोचन,
राम दुलारे,
जय बजरंगी,
हम हैं भक्त तुम्हारे 

कवि मनीष 
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Saturday 28 March 2020



रात को दिन बनानेवाले,
ऐ साईं तुम हो जन-जन के रखवाले,
रेत को समन्दर बनानेवाले,
ऐ साईं तुम हो समस्त सृष्टि के रखवाले,

जग में करूणा का दीपक जलानेंवाले,
सारे जग को मानवता की सीख देनें वाले,
जीवन में वसंत-बहार लानेंवाले,
ऐ साईं तुम हो संपूर्ण ब्रह्माण्ड के रखवाले,

रात को दिन बनानेवाले,
ऐ साईं तुम हो जन-जन के रखवाले,
रेत को समन्दर बनाने वाले,
ऐ साईं तुम हो समस्त सृष्टि के रखवाले 

कवि मनीष 
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Friday 27 March 2020

माँ काली स्तुति
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जय माँ काली,
पाप नाशिनीं,
जय माँ काली 

सुख-शांति दायनीं,
सृष्टि को बचानें वाली,
शांति सुमन खिलानें वाली,

जय माँ काली,
पाप नाशिनीं,
जय माँ काली,

अपार क्रोध वाली,
महाशक्तिशाली,
अमावस को बना दे जो दिवाली,

जय माँ काली,
पाप नाशिनीं,
जय माँ काली 

कवि मनीष 
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Wednesday 25 March 2020


जय अम्बे माँ 
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जय अम्बे माँ,
जय जगदम्बे माँ,
दुःख हरनीं,सुख दायक,
जय चमत्कारी माँ,

जय अम्बे माँ,
जय जगदम्बे माँ,

प्रसन्न चित्त दायिनीं,
सुख-समृद्धि दायिनीं,
जीवन सुख दायिनीं,

महाशक्ति स्वामिनीं,

जय अम्बे माँ,
जय जगदम्बे माँ,
जय शेरोवाली माँ,
जय मेहरोवाली माँ,
जय पहाड़ावाली माँ,

जय अम्बे माँ,
जय जगदम्बे माँ,
दुःख हरनीं,सुख दायक,
जय चमत्कारी माँ 

कवि मनीष 
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Monday 23 March 2020


 शिव स्तुति
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हे शिव हो तुम महाकाल,
पापियों का अंत कर,
ले आओ नेक जीवन में बहार,

तुम करते हो चमत्कार,
लगाते हो डूबतों का बेड़ा पार,
हे शिव हो तुम महाकाल,

तुम्ही से है जगमगाता सारा संसार,
तुम्ही करते हो पाप पर प्रहार,
तुम तो हो चमत्कारों का चमत्कार,

हे शिव हो तुम महाकाल,
पापियों का अंत कर,
ले आओ नेक जीवन में बहार  

कवि मनीष 
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त्यागता है जो बलिदानीं सर्वस्व मातृभूमि के लिए,
वो है अमर बन जाता हर किसी के लिए

कवि मनीष 
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Sunday 22 March 2020


जय संतोषी माँ 
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जय संतोषी माँ,
सब मुरादें पूरी करनें वाली,
जय देवी माँ,
जय संतोषी माँ,

हर रंग से जीवन गगन रंगनें वाली,
जय चमत्कारी माँ,
जय देवी माँ,
जय संतोषी माँ,

पल भर सुखी-संपन्न करनें वाली,
जय अनोखी माँ,
जय देवी माँ,
जय संतोषी माँ,

जय संतोषी माँ,
सब मुरादें पूरी करनें वाली,
जय देवी माँ,
जय संतोषी माँ

कवि मनीष 
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Saturday 21 March 2020

जय बजरंगी,जय हनुमान,
जय संकट मोचन,जय हनुमान,
महाबलशाली,शंकर अवतारी,
जय पवन पुत्र,जय हनुमान,

सर्व संकट हरनें वाले,
समस्त बुरी शक्तियों का सर्वनाश करनें वाले,
जय मारूति नंदन,जय हनुमान,
जय केसरी नंदन,जय हनुमान,

महाज्ञानीं,महाशक्तिशाली,
अद्भुत शक्तियों के स्वामीं,
जय बजरंगी,जय हनुमान,
जय संकट मोचन,जय हनुमान,

जय बजरंगी,जय हनुमान,
जय संकट मोचन,जय हनुमान,
महाबलशाली,शंकर अवतारी,
जय पवन पुत्र,जय हनुमान 

कवि मनीष 
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Friday 20 March 2020

माँ लक्ष्मीं आरती
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जय माता लक्ष्मीं,
धन,ऐश्वर्य, वैभव दात्री,
जय माता लक्ष्मीं,

कृपा अपनीं हमको देकर,
निर्धनता भगाना दूर,
सदैव सुखी-संपन्न बनाकर हमें,
अपनीं करूणा का बरसाना नूर,

सदैव हमारे आलय विराजित रहना,
हे माँ, हे जननीं,
जय माता लक्ष्मीं,
धन,ऐश्वर्य,वैभव दात्री,
जय माता लक्ष्मीं,

जय माता लक्ष्मीं,
जय माता लक्ष्मीं,
जय माता लक्ष्मीं 

कवि मनीष 
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हाथ-पैर रखें स्वच्छ भरपूर,
घर से निकलें बेवजह न हुज़ूर,
सरकार के पहल पर अमल ज़रूर करें,
तभी भागेगा ये कोरोना ज़रूर

कवि मनीष 
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कवि मनीष 

Thursday 19 March 2020

जीवन की गहराई है तू,
आकाश की ऊँचाई है तू,
ऐ साईं तू अनंत,असीम है,
जो कभी ख़त्म न हो वो बहार है तू,

है सागर में बूंदे जितनीं,
है उतनीं हीं कृपा तुझमें,
मेरे अंतरात्मा में समाया है तू,
मेरे जीवन में समाया है तू,

जीवन की गहराई है तू,
आकाश की ऊँचाई है तू,
ऐ साईं तू अनंत,असीम है,
जो कभी ख़त्म न हो वो बहार है तू

कवि मनीष 
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Wednesday 18 March 2020



है सारे तीर्थों का संगम,
है साईं तेरा दर इतना पावन,
है रहता सदा तेरी कृपा का संसार वहाँ,
है साईं तेरा दर सारे रंगो का संगम,

ख़ाली हाथ है लौटता नहीं कोई,
तू भरता है सबकी झोली,
तेरे दर होती है मानवता की होली,
है बजता मधुर राग हरदम,

है सारे तीर्थों का संगम,
है साईं तेरा दर इतना पावन,
है रहता सदा तेरी कृपा का संसार वहाँ,
है साईं तेरा दर सारे रंगो का संगम 

कवि मनीष 
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Tuesday 17 March 2020

सरस्वती वंदना 
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हे माता सरस्वती,
करते हैं हम तुम्हारी वंदना,
विद्या,बुद्धि,ज्ञान तुम हमको देना,

अपनें ज्ञान से सदा हम फैलाएँ आशा,
दूर करें हम सारे जग की निराशा,
करें हम औरों का मार्गदर्शन,
न होनें दें किसी के भी भीतर,
ईर्ष्या का शासन,

सदा करें हम मानवता की आराधना,

हे माता सरस्वती,
करतें हैं हम तुम्हारी वंदना,
विद्या,बुद्धि,ज्ञान तुम हमको देना,

हे माता सरस्वती,
करते हैं हम तुम्हारी वंदना,
हे माता सरस्वती,
करते हैं हम तुम्हारी वंदना,

हे माता सरस्वती,
करते हैं हम तुम्हारी वंदना 

कवि मनीष 
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कवि मनीष 

Monday 16 March 2020

कोयल कूके,
कूक सुनाए,
मीठे-मीठे,
गीत सुनाए,

कभी हँसाए,
कभी रूलाए,
यादों के वाण चलाए,

कोयल कूके,
कूक सुनाए,

बीते पलों की,
खुशबू फैलाए,
कभी हँसाए,
कभी रूलाए,

कोयल कूके,
कूक सुनाए,
मीठे-मीठे,
गीत सुनाए,

कोयल कूके,
कूक सुनाए 

कवि मनीष 
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Saturday 14 March 2020

आकाश 
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खुला है आकाश,
सर पर हमारे,
जैसे सर पे हो,
छत हमारे,

जो शरीर में सबके,
भरता है प्राण,
वो प्राण वायु भी है,
इसके नीचे बहती,

तो प्रदूषण बढ़ाके,
न करो बर्बाद इसे,
अगर रखोगे तुम,
आबाद इसे,

तो यह भी रखेगा,
आबाद तुम्हे,
सर से छत जानें पर,
जीवन का है क्या
हाल होता,

ये भलीभांति है ज्ञात तुम्हे,

तो व्यर्थ न करो अपनें,
जीवन को बर्बाद,

खुला है आकाश,
सर पर हमारे,
जैसे सर पर हो,
छत हमारे 

कवि मनीष 
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Friday 13 March 2020

है अनंत आकाश फैला,
जैसे हर तरफ़ एक समान,
वैसे हीं शिव की कृपा से,
है नहीं अछूता सारा संसार,

मन में जो रखते नहीं,
द्वेष,क्लेश,ईर्ष्या,
उन्हीं पे है बरसती,
महादेव की अनुकंपा बारंबार,

है अनंत आकाश फैला,
जैसे हर तरफ़ एक समान,
वैसे हीं शिव की कृपा से,
है नहीं अछूता सारा संसार 

कवि मनीष 
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Wednesday 11 March 2020


किशन-कन्हैया गुलाल उड़ाए,
धड़-पकड़ कर गुलाल लगाए,
कभी पकड़े बहिंयां,
कभी चुनरी भिगाए,

किशन-कन्हैया गुलाल उड़ाए,

सांवला-सलोना है उसकी
चंचल अंखियां,
जैसे चाँद करता है,
बादलों में अटखेलियाँ,

कभी मोहे जलाए,
कभी मोहे सताए,
किशन-कन्हैया गुलाल उड़ाए,

किशन-कन्हैया गुलाल उड़ाए,
धड़-पकड़ कर गुलाल लगाए,
कभी पकड़े बहिंयां,
कभी चुनरी भिगाए,


किशन-कन्हैया गुलाल उड़ाए

कवि मनीष 
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Monday 9 March 2020

आया होली का त्यौहार,
गाओ संग-संग रे,
उड़ाओ गुलाल,
रंगो अम्बर रे,

आया होली का त्यौहार,
गाओ संग-संग रे,

नफ़रत,दुश्मनीं को भूलकर,
सारे शिकवे,शिकायतों  को भूलकर,
रंगों मन का अम्बर रे,

आया होली का त्यौहार,
गाओ संग-संग रे,

आया होली का त्यौहार,
गाओ संग-संग रे,
उड़ाओ गुलाल,
रंगो अम्बर रे,

आया होली का त्यौहार,
गाओ संग-संग रे 

होली की अनंत शुभकामनाएँ 

कवि मनीष 
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Sunday 8 March 2020

नारी तो है जननीं,
समय-समय पर जो
है दिखाती,
उसकी कथनीं हीं है,
उसकी करणीं,

पर आज की नारियों में,
वो समझ की थोड़ी कमीं है,
जो समझ वीरांगनाओं में है होती,
उस समझ की थोड़ी कमीं है,

आज की नारियों को,
लक्ष्मींबाई, इंदिरा, टेरेसा का पाठ
पढ़नें की ज़रूरत है,
ऐ आधुनिक नारी तभी बनेगी तू,
निडर सिंहनीं,

नारी तो है जननीं,
समय-समय पर जो 
है दिखाती,
उसकी कथनीं हीं है,
उसकी करणीं 

कवि मनीष 
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Saturday 7 March 2020

राम नाम है सबसे बड़ा,
राम से बड़ा कोई नहीं,
जब है लांगता पाप अपनीं सीमा,
मृत्यु से बड़ा कोई नहीं,

जब उठाता है सर अपनां अभिमान,
राम के प्रहार से बड़ा कोई नहीं,
जब है फैल जाता शूलों का संसार,
वसंत-बहार से बड़ा कोई नहीं,

जब आती है बात मर्यादा की,
राम से बड़ा कोई नहीं,
राम नाम है सबसे बड़ा,
राम से बड़ा कोई नहीं,

राम से बड़ा कोई नहीं 

कवि मनीष 
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Friday 6 March 2020


है समस्त कामनाओं की पूर्ति,
होती है जिस दर पर,
कहता है बाबा अमरनाथ,
सारा जग उसे जय करकर,

देवताओं का मस्तक भी है झुक जाता,
जिस दर पर,
कहता है बाबा बर्फ़ानीं उसे,
सारा जग जयकारे लगाकर,

ब्रह्माण्ड की समस्त शक्ति,
है एक हो जाती जिस दर पर,
कहता है बाबा त्रिलोकनाथ उसे,
सारा जग जय करकर,

है समस्त कामनाओं की पूर्ति,
होती है जिस दर पर,
कहता है बाबा अमरनाथ,
सारा जग उसे जय करकर 

कवि मनीष 
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Thursday 5 March 2020

माँ वैष्णों देवी के दरबार 
में होतीं हैं मुरादें पूरी सारी,
सजती है सपनों की
रंग-बिरंगी फुलवारी,

झूमती है धरती,
झूमता है गगन,
झूमता है जीवन,
सजती है आशाओं की फुलवारी,

माँ वैष्णों देवी के दरबार 
में होतीं हैं मुरादें पूरी सारी,
सजती है सपनों की,
रंग-बिरंगी फुलवारी 

कवि मनीष 
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Wednesday 4 March 2020

निराला है वो सबसे,
चमत्कारी है वो सबसे,
कहता है सारा जग जिसे,
शिव-शंकर भुजंगधारी दिल से,

है वो महेश्वर,
है वो महाकाल,
है वो सृष्टि का केंद्र,
कहता है कैलाशी सारा जग जिसे दिल से,

निराला है वो सबसे,
चमत्कारी है वो सबसे,
कहता है सारा जग जिसे,
शिव-शंकर भुजंगधारी दिल से,

कवि मनीष 
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Tuesday 3 March 2020


चूमता है अमरत्व मस्तक,
उनका जो होतें हैं शहीद मातृभूमि पर,
होता है स्वर्णिम जीवन उनका,
विजय पताका लहराते हैं जो शत्रु के वक्ष पर,

अपना सर्वस्व जो कर दे निछावर वतन पर,
जो धड़कता है जीवन बनकर,
जो बहता है लहू बनकर,
वो रहता है हर जुबां पर फ़ौजी बनकर,

चूमता है अमरत्व मस्तक,
उनका जो होतें हैं शहीद मातृभूमि पर,
होता है स्वर्णिम जीवन उनका,
विजय पताका लहरातें हैं जो शत्रु के वक्ष पर

कवि मनीष 
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Monday 2 March 2020

मेरी भारत माँ,
के धरती पर,
गाता है जीवन,
लहराता है जीवन,
बलख़ाता है जीवन,

पशु,पक्षी सब,
रहते हैं हिल मिलकर,
जहाँ हरियाली है,
लहराती झूम झूमकर,

ऐसी माता के हैं,
हम संतान,
जिसके माला में हैं,
हर रंग के मोती,

जो बनाता है इसे महान,

आओ ! हम सब मिलकर,
भारत माँ का क़र्ज़ चुकाएँ,
द्वेष, नफ़रत और न हिंसा फैलाएँ,

हम सब हीं तो हैं इसका अभिमान,

हमारी भारत माँ हीं तो है,
हम सभी का जीवन दर्पण,

मेरी भारत माँ,
के धरती पर,
गाता है जीवन,
लहराता है जीवन,
बलख़ाता है जीवन 

कवि मनीष 
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Sunday 1 March 2020

जब तू बंसी बजाए,
प्रेम हर ओर फैल जाए,
सारा गगन पल भर में,
ग़ुलाबी हो जाए,

जीवन से मुक्त हो जाए,
हर अर्चन,
हर ओर बज उठे,
मधुर सरगम,

मन मेरा निराला,
प्रेम गीत गाए,
जब मेरे गिरिधर तू,
मुरलीधर बन जाए,

जब तू बंसी बजाए,
प्रेम हर ओर फैल जाए,
सारा गगन पल भर में,
ग़ुलाबी हो जाए 

कवि मनीष 
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प्रेम जब पहुँचे हिर्दय की गहराई तक, पराकाष्ठा पहुँचे उसकी नभ की ऊँचाई तक, प्रेम अगर रहे निर्मल गंगा माई के जैसे, वो प्रेम पहुँचे जटाधारी के ...