जीवन की गहराई है तू,
आकाश की ऊँचाई है तू,
ऐ साईं तू अनंत,असीम है,
जो कभी ख़त्म न हो वो बहार है तू,
है सागर में बूंदे जितनीं,
है उतनीं हीं कृपा तुझमें,
मेरे अंतरात्मा में समाया है तू,
मेरे जीवन में समाया है तू,
जीवन की गहराई है तू,
आकाश की ऊँचाई है तू,
ऐ साईं तू अनंत,असीम है,
जो कभी ख़त्म न हो वो बहार है तू
कवि मनीष
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