Thursday 31 December 2020

रंग जीवन में सुख और दुःख दोनों के हीं हैं होतें,

जो इस सत्य को हैं मानते वो कभी कमज़ोर नहीं पड़तें,

माता तो सदैव साथ रहतीं हैं अपनें उन संतानों के साथ,

जो उसको कभी अपनें हिर्दय से दूर नहीं करतें


कवि मनीष 

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Wednesday 30 December 2020

ज्ञान बिना न जग चले,

ज्ञान बिना न संकट टले,

जो करे माँ सरस्वती के आराधना,

संग-संग ओहके समस्त वेद-पुराण चले


कवि मनीष 

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Tuesday 29 December 2020

नीज मन न मैल रखिए,

मन को सदा निर्मल रखिए,

अगर है फ़ौलाद सा जो जिगर आपका,

तो भारत माता की सदा जय कहिए


कवि मनीष 

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Monday 28 December 2020

राम नाम निकले हर घड़ी मुख से,

पार लगाए वो नईया जीवन दुःख से,

मुख कपि का लेकर अद्भुत,

करे भक्ति श्री राम की वो सदा दिल से


कवि मनीष 

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Sunday 27 December 2020

रेत की दीवार ढ़ह जाती है, क्षणभर में,

पूनम कर देती है जग रोशन पल भर में,

हर ग़म है हो जाता पल भर में दूर,

जब छाता है माता रानीं का नूर सारे जग में 


कवि मनीष 

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Saturday 26 December 2020

बस एक आदेश पर उड़ गएँ लंका को बजरंग,

लेके मन में निःस्वार्थ भक्ति का रंग,

करता है जो भक्ति तन-मन-धन से,

है मिलता उसको फल हमेशा मधुरता के संग


कवि मनीष 

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Friday 25 December 2020

है कण-कण में जो समाया,

है जो फूलों के रंग और सुगन्ध बनके छाया,

है वो राम के सद्विचार,

जो बनकर रहतें सदा मानवता का साया


कवि मनीष 

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मानवता पर जब है होता ज़ुल्मो का प्रहार,

ख़तरे में जब है पड़ता सारा संसार,

तब जन्म लेता है,

एक फ़रिश्ता बनके इंसानियत का उपहार


क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनाएँ 


कवि मनीष 

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Tuesday 22 December 2020

डमरू बजाए,करे नृत्य तांडव,

जटाधारी,त्रिनेत्रधारी,गंगाधर,

देव,मानव,दानव सब हैं भक्त उसके,

गुणों का है वो सृजनकर्ता और अवगुणों का है संहारक


कवि मनीष 

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Sunday 20 December 2020

सुमन और सुगन्ध एक दूजे बिन हैं अधूरे,

वैसे हीं कृष्ण और राधा एक दूसरे बिन हैं अधूरे,

है इनकी प्रीत पराकाष्ठा प्रेम की,

तभी तो समस्त जगत् इनको है पूजे


कवि मनीष 

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Friday 18 December 2020

आसमां को ज़मीं पर झुका जाते हैं,

सूरज,चाँद,सितारों को धरती पर उतार लाते हैं,

हैं राम बसें मेरे रोम-रोम में,

महावीर बजरंगी ये बार-बार दुहराते हैं 


कवि मनीष 

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Wednesday 16 December 2020

जब पड़ती है ज़रूरत किसी को,

वीर रहता है तैयार सदा जां देनें को,

कौन कहता है, हम हैं अलग-अलग,

हो जातें हैं हम सब एक जब आती है बात शौर्य दिखानें को


विजय दिवस की हार्दिक बधाई

कवि मनीष 

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Tuesday 15 December 2020

न जानें कौन सी की है, ख़ता,

क्यों देतें हैं लोग दग़ा,

प्रेम का सिला मिलता नहीं,

मिलता है सिर्फ़ धोख़ा,


कौन कहता है परमेश्वर करता नहीं ग़लती,

जहाँ करना नहीं था जिसे पैदा,

कर पैदा उसनें वहाँ उसकी ज़िन्दगी तबाह कर दी,


मेरे मुँह से निकलती है अब सिर्फ़,

बद्दुआ,


न जानें कौन सी की है, ख़ता,

क्यों देतें हैं लोग दग़ा,

प्रेम का सिला मिलता नहीं,

मिलता है सिर्फ़ धोख़ा


कवि मनीष 

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Monday 14 December 2020

गजानन,गणाधिप,लम्बोदर,
नाम से हीं परमबुद्धि है होता उजागर,
है होता सर्वप्रथम पूजन उसका,
है उसके समक्ष अति तुच्छ बुद्धि का सागर

कवि मनीष 
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Sunday 13 December 2020

जीवन संग चले मृत्यु भी संग-संग,

जीवन के रहे न कभी एक समान रंग-ढ़ंग,

और जो बसावे राम भक्त के मन में,

ओहके जीवन नभ से बरसे वसंत-बहार हर क्षण


कवि मनीष 

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Thursday 10 December 2020

जब अन्नदाता के मन में चुभ जाती है राजनीति की शूल,

तब निर्बल है हो जाती अर्थव्यवस्था की मूल,

मंडरानें लगते हैं भूखमरी के बादल काले,

सबक देता है वो उनको जिसनें की है भूल


कवि मनीष 

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Wednesday 9 December 2020

मूर्छित पड़े लक्ष्मण को देख पर्वत दियो उठाए,

प्रेम देख बजरंगी का श्री राम लियो गले लगाए,

जेहके मन बहे प्रीत की धारा निर्मल,

ओहके जीते जी स्वर्ग मिल जाए


कवि मनीष 

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Tuesday 8 December 2020

आशा से भरे मन में नहीं आते बुरे विचार,

आशावादी लोग हीं करतें हैं चमत्कार,

जब दमकता है रूप अम्बे माता का,

चमक उठता है सारा घर-बार, संसार


कवि मनीष 

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Monday 7 December 2020

बगिया जो होती है,भरी पुष्पों से रंग-बिरंगी,

बना देती है हर मन को रंग-बिरंगी,

और जो बसा कर हैं रखते मन में माता की छवि,

उनका हर दिन है होता है सतरंगी,उमंगी 


कवि मनीष 

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Sunday 6 December 2020

राधा कहे कृष्ण से कैसा प्रेम किया हमनें,

मिल के भी मिल न पाएँ कैसा प्रेम किया हमनें,

बिन मौसम के जो बरसते हैं बादल,

उन बादलों के जैसा प्रेम किया हमनें 


कवि मनीष 

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Saturday 5 December 2020

मीरा हर घड़ी कृष्ण धुन गाए,

पर कृष्ण कभी मिलन को न आए,

मीरा भई कृष्ण बावरी,

सो विष बन सुधा रग-रग में समाए


कवि मनीष 

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Thursday 3 December 2020

हनुमंत संग चले जग सारा,

हनुमंत के प्रिय श्री राम न्यारा,

रात दिन भजे राम नाम,

हनुमंत से बड़ा न कोई राम दुलारा 


कवि मनीष 

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Wednesday 2 December 2020

जीवन की नाव प्रीत की नदि पर हीं है चलती,

मृत्यु सदा जीवन के साथ हीं है चलती,

जो महाकाल की करतें हैं भक्ति,

उन्हे मृत्यु कभी असमय नहीं है बुलाती


कवि मनीष 

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Tuesday 1 December 2020

जईसे दिवा व रात्रि बनाए एक दिन,

वईसे माता के प्रीत से महके हर दिन,

जो मन में छवि माता के रखे बसा के,

ओके घर में बनें वसंत-बहार हर दिन


कवि मनीष 

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प्रेम जब पहुँचे हिर्दय की गहराई तक, पराकाष्ठा पहुँचे उसकी नभ की ऊँचाई तक, प्रेम अगर रहे निर्मल गंगा माई के जैसे, वो प्रेम पहुँचे जटाधारी के ...