Friday, 18 December 2020

आसमां को ज़मीं पर झुका जाते हैं,

सूरज,चाँद,सितारों को धरती पर उतार लाते हैं,

हैं राम बसें मेरे रोम-रोम में,

महावीर बजरंगी ये बार-बार दुहराते हैं 


कवि मनीष 

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