नया साल,नया जीवन लाए,
उमंगो से भरा मौसम लाए,
वसंत-बहार और छाया रहे सावन,
जीवन बाग में हर रंग के फूल खिलाए
कवि मनीष
****************************************
प्रेम जब पहुँचे हिर्दय की गहराई तक, पराकाष्ठा पहुँचे उसकी नभ की ऊँचाई तक, प्रेम अगर रहे निर्मल गंगा माई के जैसे, वो प्रेम पहुँचे जटाधारी के ...
No comments:
Post a Comment