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Monday 2 December 2019
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प्रेम जब पहुँचे हिर्दय की गहराई तक, पराकाष्ठा पहुँचे उसकी नभ की ऊँचाई तक, प्रेम अगर रहे निर्मल गंगा माई के जैसे, वो प्रेम पहुँचे जटाधारी के ...
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चूमता है अमरत्व मस्तक, उनका जो होतें हैं शहीद मातृभूमि पर, होता है स्वर्णिम जीवन उनका, विजय पताका लहराते हैं जो शत्रु के वक्ष ...
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इठलाती-बलखाती आई मैं, बदरा बन हरसू छाई मैं, मेरे श्याम तेरे मुख को देख, सहसा देख लजाई मैं, तेरे बांसुरी की तान का है क्या कहना, तू हीं तो है...