Friday, 6 December 2019

जेहके निरमल बाटे मन,
ओहके जिनगी बाटे रंग-बिरंग के उपवन

कवि मनीष 
**************************************

No comments:

Post a Comment

प्रेम जब पहुँचे हिर्दय की गहराई तक, पराकाष्ठा पहुँचे उसकी नभ की ऊँचाई तक, प्रेम अगर रहे निर्मल गंगा माई के जैसे, वो प्रेम पहुँचे जटाधारी के ...