Friday 28 February 2020

जो कभी ख़त्म न हो,
वो चमत्कार है तू,
जो कभी जाए न,
वो बहार है तू,

ऐ मेरे साईं,
आशाओं का संसार है तू,

जिसपे से न हो कभी,
ओझल चाँद,
वो रात है तू,

जो कभी न हो,
सूरज से रिक्त,
वो सुबह है तू,

ऐ मेरे साईं,
आशाओं का संसार है तू,

जो कभी ख़त्म न हो,
वो चमत्कार है तू,
जो कभी न जाए,
वो बहार है तू,

ऐ मेरे साईं,
आशाओं का संसार है तू 

कवि मनीष 
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Thursday 27 February 2020



माँ के दरबार में जलाओ दीप,
मुरादें तेरी होंगी पूरी ऐ मन मीत,
तो चलो आओ गाओ,
सब मिलके खुशी के गीत

माँ के दरबार में बरसे बहार,
अमावस पे हो जाए,
पूनम का श्रृंगार,

सर्वत्र छा जाए प्रीत हीं प्रीत,
माँ के दरबार में जलाओ दीप,
मुरादें तेरी होंगी पूरी ऐ मन मीत,
तो चलो आओ गाओ,
सब मिलके खुशी के गीत,

माँ के दरबार में जलाओ दीप 

कवि मनीष 
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Wednesday 26 February 2020

रंग ए आफ़ताब भी झुक कर सलाम करता है,
जब जवान अपनीं ताक़त सरेआम करता है 

बाला कोट एयरस्ट्राईक
कवि मनीष 
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सुबह और शाम,
हर दिन भजो श्री राम,
जीवन का है यही ज्ञान,
भजो प्यारे श्री राम,

वसंत-बहार, पतझड़ आए,
ग्रीष्म,शीत,बरखा आए,
हर ॠतु में करो ये काम,
भजो भक्तों श्री राम,

सुगंध और पुष्प सा,
चंद्रमा और चकोर सा,
बरखा और मोर सा,
तू जोड़ ले रिश्ता और,
बन जा राम का सम्मान,

सुबह और शाम,
हर दिन भजो श्री राम,
जीवन का है यही ज्ञान,
भजो प्यारे श्री राम 

कवि मनीष 
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Tuesday 25 February 2020

आज डोनाल्ड ट्रंप आएँ तब यमुना माता की याद आई प्रधानमंत्री जी को,
तो मैनें ये रचना लिखी करके समर्पित यमुना माता को
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मैं यमुना हूँ
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मैं यमुना हूँ,
मैं भी देवी हूँ,
यमुना माता हूँ,
सदियों से सब की,
प्यास बुझाती,
अमृत तुल्य जल
देती,
पर आज मैं रोती हूँ,
अपनें संतानों को
देकर जीवन,
मैं पछताती हूँ,
मैंनें उनको दिया जीवन,
पर उसके बदले उन्होंने,
छीन लिया मेरा हीं जीवन,
जब हैं आते अतिथी,
तब मेरी याद आती,
तब यमुना माता स्वच्छ होती,
पर उसके पहले यमुना माता
सिर्फ़ रोती,
जैसे मेरी बहन गंगा तुम्हारे
पापों को है धोती,
मैं भी तो तुम्हारे हूँ,
पाप हरती,
तो मेरी क्यों हो करते
अवहेलना,
तुमको मेरे साथ भी
है चलना,
मैं भी तुम्हारी माता हूँ,
मैं यमुना हूँ,
मैं भी देवी हूँ,
यमुना माता हूँ,
यमुना माता हूँ
कवि मनीष
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है अनुपम तेरी छटा,
जैसे सहसा घिर है
आती काली घटा,
जो बरसती है घनघोर,

ये है आशीष तेरा,
है नहीं कुछ और,

चारों दिशा से आ
रही है आवाज,
शिव-शंकर है,
जग में बस तेरा हीं राज,

तेरी हीं कृपा से,
धरती पाती है हरियाली,
तेरी हीं लीला,
जग में लाती है खुशहाली,

है शिव अनुपम तेरी कृपा,

है अनुपम तेरी छटा,
जैसे सहसा घिर है 
आती काली घटा,
जो बरसती है घनघोर,

ये है आशीष तेरा,
है नहीं कुछ और 

कवि मनीष 
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Monday 24 February 2020

तू जब है आता पास,
ऐ साईं तू पूरी है करता
हर आस,
जब जुड़ता है तुझसे एहसास,
आशा रहती है मेरे पास-पास,

नीली धरती लगती है और प्यारी,
जब बनाता है तू जीवन फुलवारी,
है बजता हर मधुर राग,
तू जब है आता पास,

तू जब है आता पास,
ऐ साईं तू पूरी है करता,
हर आस,
जब जुड़ता है तुझसे एहसास,
आशा रहती है मेरे पास-पास

कवि मनीष 
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जब सिंहों का रक्त इन्सां के शरीर में बहता है,
तब उसका परिणाम वीर शिवाजी होता है 

कवि मनीष 
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Sunday 23 February 2020

देती है हरपल जीवन में एक नई आशा,
जब रग-रग में है महकती मातृभाषा 

कवि मनीष 
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श्याम जब-जब,
तू बजाए बंसी,
मैं कभी हँसती,
तो कभी रोती,

तेरी बंसी जग में 
सारे प्रेम फैलाए,
सुख-दुःख के नयनों 
से नीर बहाए,

तेरी बंसी के तान में,
मैं अपनीं सुध-बुध ख़ोती,
तेरी बंसी के रागों में,
जीवन माला हूँ गूंथती,

श्याम जब-जब,
तू बजाए बंसी,
मैं कभी हँसती,
तो कभी रोती

कवि मनीष 
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Saturday 22 February 2020

जहाँ रहता है वसंत-बहार,
है वो अम्बे का संसार,
जहाँ मनमोहक है हर छटा,
है वो जगदम्बे का दरबार,

ख़त्म है हो जाता जहाँ,
समस्त कष्टों का संसार,
बसता है जहाँ,
रंग-बिरंगे उपवन का संसार,

है वो अम्बे का संसार,
है वो जगदम्बे का दरबार,
जहाँ है रहता वसंत-बहार,
है वो अम्बे का संसार,

जहाँ मनमोहक है हर छटा,
है वो जगदम्बे का दरबार,
है वो अम्बे का संसार 

कवि मनीष 
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Friday 21 February 2020

बरसे भोले की कृपा बार-बार,
शिव करते रहें चमत्कार हीं चमत्कार,
फैले सर्वत्र उजियारा हीं उजियारा,
मुबारक हो आप सभी को महाशिवरात्री का त्यौहार 

कवि मनीष 
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Thursday 20 February 2020

ऐ साईं,
तेरी किरपा से,
हो जातें हैं,
सबके बेड़ा पार,

लगा दे किनारे,
कश्ती हमार,
तेरी नज़र से है
हो जातें,

मरूस्थल भी,
बहार,
ऐसी ताक़त है,
तेरा चमत्कार,

जब तू है करता
उजाला,
तब ख़त्म है हो जाता
रात का संसार,

तेरे नेत्रों में है,
वसंत-बहार,

ऐ साईं,
तेरी किरपा से,
हो जातें हैं,
सबके बेड़ा पार,

लगा दे किनारे,
कश्ती हमार,

लगा दे किनारे,
कश्ती हमार,
लगा दे किनारे,
कश्ती हमार 

कवि मनीष 
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Wednesday 19 February 2020

जय माँ काली,
त्रिनेत्र वाली,
पाप नाशिनीं,

धधकती ज्वाला,
से दुरात्माओं का 
संहार करनेवाली,

जय माँ काली,
त्रिनेत्र वाली,
पाप नाशिनीं,

सूरज से अग्नि 
समाई है तेरे भीतर,
हो जाए महा शक्तिशाली,
जब आ जाए तू,
किसी के ऊपर,

जय माँ काली,
शक्ति की स्वामिनीं,

जय माँ काली,
त्रिनेत्र वाली,
पाप नाशिनीं,

जय माँ काली,
त्रिनेत्र वाली,
पाप नाशिनीं 

कवि मनीष 
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Tuesday 18 February 2020

कहता कोई अम्बा,
है कोई कहता जगदम्बा,
है तेरे नाम अनेक,
तू हीं रंग है जीवन गगन का,

है तू करुणामयी,
देती है आशीष तू हमें जीवन का,
तू है हर कण में बसी,
तू है सुगंध जीवन उपवन का,

कहता है कोई अम्बा,
है कोई कहता जगदम्बा,
है तेरे नाम अनेक,
तू हीं रंग है जीवन का 

कवि मनीष 
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Monday 17 February 2020


2222,222,222

सागर सी आँखें हैं बस तेरी हीं,
फूलों सी बातें हैं बस तेरी हीं,
तू हीं है बस चाहत का आईना,
सागर सी आँखें हैं बस तेरी हीं 

रूबाई
कवि मनीष 
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Sunday 16 February 2020


रात के बाद हमेशा दिन है होता,
कौन कहता है कि आसमाँ में छेद नहीं होता

कवि मनीष 
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Saturday 15 February 2020

परम कृपालु, परम दयालु,
तुम हो,
मैं सागर और साहिल तुम हो,
सुगन्ध जो बिख़ेरता है वसंत,
वो खुशबू तुम हो,

हे हम सब के साईं,
तुम अनंत अम्बर हो,

हिर्दय से आराधना,
करता हूँ मैं तेरी,
तुम सब जानते हो,

परम कृपालु, परम दयालु,
तुम हो,
मैं सागर और तुम साहिल हो,
सुगन्ध जो बिख़ेरता है वसंत,
वो खुशबू तुम हो 

कवि मनीष 
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Friday 14 February 2020

ख़ून की बूंदो नें कहा,
मेरा कण-कण है हो जाता ईश्वरीय,
जब मैं बहता हूँ,
शहीद ए क़ौम के बदन से,

मृत्यु की डोर से बंधके भी,
मैं समा जाती हूँ ज़िन्दगी में,
ये सिंहों का है जिस्म,
रहती हूँ मैं जहाँ,

ख़ून की बूंदो नें कहा,
मेरा कण-कण है हो जाता ईश्वरीय,
जब मैं बहता हूँ,
शहीद ए क़ौम के बदन से 

कवि मनीष 
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आशा की डोर है तू,
निराशा दूर भगाता है तू,
ऐ मेरे साईं,
ऐ मेरे साईं,

अथाह सागर और अनंत,
गगन है तू,
तेरी किरपा से लगती है,
किनारे जीवन की नईया,

ऐ मेरे साईं,
ऐ मेरे साईं,

फ़िज़ा में फैली,
ख़ुशबू है तू,

आशा की डोर है तू,
निराशा दूर भगाता है तू,
ऐ मेरे साईं,
ऐ मेरे साईं,

अथाह सागर और अनंत,
गगन है तू 

कवि मनीष 
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Thursday 13 February 2020

जिसके इर्द-गिर्द घूमती हैं सृष्टि की खुशियाँ,
है वो शंभु-नीलकंठ जो रचता है अद्भुत दुनिया,

कवि मनीष 
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कवि मनीष 

Wednesday 12 February 2020



जब क्रांति की मशाल अपनें पूरे शबाब पर होता है,
तब अपनीं चमक से वो सूरज सी रोशनीं बिखेरता है 

कवि मनीष 
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है जीवन से जिनको नहीं बैर,
वही हैं साईं भक्ति के सिरमौर

कवि मनीष 
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बोए पेड़ बबूल का आम कहाँ से होए,
ऐसे औलाद हीं परिवार के लुटिया है डुबोए

कवि मनीष 
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Tuesday 11 February 2020

आ गया लो फिर दिल्ली का राजा,
बजाओ मिलके सब राष्ट्रीयता का बाजा

कवि मनीष 
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जैसे तपती धरती को तृप्त है कर जाती बरखा की बूंदें,
वैसे हीं मन है हो जाता अति पावन जब ॐ साईं राम सारी सृष्टि में गूंजे 

कवि मनीष 
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जैसे धमनियों में बहता है रक्त सबके,
वैसे हीं मिट्टी के हर कण में बसें हैं राम भारतवर्ष के 

कवि मनीष 
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Monday 10 February 2020


करे कृपा तो फूल बरसे,दिखाए कोप तो आग बरसे,
है निराले उसके करतब कहती जिसे दुनिया शिव-भोले

कवि मनीष
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Sunday 9 February 2020

है जो दिखाता सत्य पथ हरदम,
है साईं के नेत्रों में वो जीवन-दर्पण

कवि मनीष 
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Saturday 8 February 2020



है कृपा बरसती साईं की अनमोल मोतियों के समान,
जो सदा करते हैं इन्सानियत का सम्मान

कवि मनीष 
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Friday 7 February 2020

                 डूबा नहीं सकता उसे कोई मझधार,
                    जिसपे है साईं का आर्शीवाद
कवि मनीष
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Thursday 6 February 2020


है साईं के जीवन का ज्ञान,
सदा करो सादगी का पान

कवि मनीष 
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Wednesday 5 February 2020


पेड़-पौधों की करो हिफ़ाज़त हमेशा,
तभी रहोगे सलामत हमेशा 

कवि मनीष 
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Tuesday 4 February 2020

है करता वही औरों पे उपकार,
जिसके भीतर है ज़िंदा संस्कार

कवि मनीष 
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Monday 3 February 2020

है जीवन हो जाता धन्य उनका,
जो लगाते हैं मस्तक पे धूल साईं चरण का

कवि मनीष 
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Sunday 2 February 2020

है हो जाता पवित्र-पावन मनुष्य का आलय,
जब है वो बसा लेता मन में अपनें शिवालय 

कवि मनीष 
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Saturday 1 February 2020

जीवन की डगर है कठिन मगर,
जो करता है ख़ुद पे यक़ी अगर,
शूलों से भरे पथ को भी,
वो है बना देता ग़ुलों का डगर

कवि मनीष 
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प्रेम जब पहुँचे हिर्दय की गहराई तक, पराकाष्ठा पहुँचे उसकी नभ की ऊँचाई तक, प्रेम अगर रहे निर्मल गंगा माई के जैसे, वो प्रेम पहुँचे जटाधारी के ...