Friday, 14 February 2020


आशा की डोर है तू,
निराशा दूर भगाता है तू,
ऐ मेरे साईं,
ऐ मेरे साईं,

अथाह सागर और अनंत,
गगन है तू,
तेरी किरपा से लगती है,
किनारे जीवन की नईया,

ऐ मेरे साईं,
ऐ मेरे साईं,

फ़िज़ा में फैली,
ख़ुशबू है तू,

आशा की डोर है तू,
निराशा दूर भगाता है तू,
ऐ मेरे साईं,
ऐ मेरे साईं,

अथाह सागर और अनंत,
गगन है तू 

कवि मनीष 
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