तारों से भरा आकाश है ले आता अंधियारे में बहार,
फूलों से भरा बाग है ले आता सुगंध की बहार,
है जो करता पालन मानवता का,
करता है साईं उसका बेड़ा पार
कवि मनीष
****************************************
प्रेम जब पहुँचे हिर्दय की गहराई तक, पराकाष्ठा पहुँचे उसकी नभ की ऊँचाई तक, प्रेम अगर रहे निर्मल गंगा माई के जैसे, वो प्रेम पहुँचे जटाधारी के ...
No comments:
Post a Comment