जब है आती रात अमावस की कुछ सूझता नहीं,
कहाँ छुपी है पूनम ये दिखता नहीं,
इन्सान की ग़लती की सज़ा हर कोई है भुगतता,
पर इन्सान को तो अपनें स्वार्थ के आगे कुछ दिखता नहीं
#विशाखापत्तनमगैसलीक
#कविमनीष
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प्रेम जब पहुँचे हिर्दय की गहराई तक, पराकाष्ठा पहुँचे उसकी नभ की ऊँचाई तक, प्रेम अगर रहे निर्मल गंगा माई के जैसे, वो प्रेम पहुँचे जटाधारी के ...
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