रात को दिन करनें की ताक़त है जिसमें,
ऐसा वीर पैदा हुआ न कभी जग में,
है जो महास्वाभिमान,महावीरता की पराकाष्ठा,
कहतें हैं महाराणा प्रताप उसे जग में
कवि मनीष
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प्रेम जब पहुँचे हिर्दय की गहराई तक, पराकाष्ठा पहुँचे उसकी नभ की ऊँचाई तक, प्रेम अगर रहे निर्मल गंगा माई के जैसे, वो प्रेम पहुँचे जटाधारी के ...
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