Saturday 31 October 2020

खंडित होते भारत को किया एक साथ,

वो सरदार था,कमाल,धमाल,बेमिसाल


कवि मनीष 

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जो कह दिया बस बन गया वही विधान,

थी अटल चट्टान इंदिरा की ज़ुबान


कवि मनीष 

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कल-कल है बहती चरणों से धारा अमृत की,

हैं माता भवानीं तो वट-वृक्ष जीवन की,

जिसके कर्म में छिपा है सत्कर्म,

वो मईया भवानीं हैं ज्योत तन-मन-धन की


कवि मनीष 

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Friday 30 October 2020

हर निर्धन को बनानें धनवान,

देनें वाली अमिट सम्मान,

हे माँ लक्ष्मीं अपनीं सदा बरसाकार,

तुम बचाते रहना हर दरिद्र का स्वाभिमान


शरद पूर्णिमा की अनंत शुभकामनाएँ 


कवि मनीष 

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Thursday 29 October 2020

 गली-गली में सुनता हूँ नाम तेरा,

ओ माता,ओ जगत् माता,ओ जगदम्बा,

तू है माता और मैं हूँ लाल तेरा,


गली-गली में सुनता हूँ नाम तेरा,


है जैसे चमकता सूरज गगन में,

है जैसे चमकता चाँद गगन में,

है वैसा तेरा रूप,


कभी धूप तो कभी शीतल,

है ऐसा तेरा रूप,


ऐ आदि शक्ति, ऐ जगत् माता,


धरती में है बसता जीवन बनके आशीष तेरा,


गली-गली में सुनता हूँ नाम तेरा,

ओ माता,ओ जगत् माता,ओ जगदम्बा,

तू है माता और मैं हूँ लाल तेरा,


गली-गली में सुनता हूँ नाम तेरा


कवि मनीष 


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८२२६८७४५१८

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कवि मनीष 

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जीवन है बसा माता के आँखों में,

प्रेम है छलकता माता के आँखों से,

जब उठातीं हैं कृपाण माता,

है निकलता प्राण पापियों के वक्षों से


है बड़ी अलबेली,अद्भुत ये माता,

है हर रूप इसका सबको भाता,

प्रेम से जो हैं लगाते इसका जयकारा,

है भर जाता झोलियों में उनके चाँद-सितारा,


करती है मुराद पूरी ये अपनें हाथों से,


जीवन है बसता माता के आँखों में,

प्रेम है छलकता माता के आँखों से,

जब उठातीं हैं कृपाण माता,

है निकलता प्राण पापियों के वक्षों से 


कवि मनीष 

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Monday 26 October 2020

खिलता है सुमन तो फैलती है सुगंध,

जब जगती है आशा खुल जाते हैं सारे किवाड़ बंद,

जो हिर्दय में बसाकर रखते हैं जगदम्बे को,

खोलती है जगदंबा उसके तक़दीर के ताले तुरंत


कवि मनीष 

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Sunday 25 October 2020

जाये के दुखवा सहे के परे हीं,

माई तोहरा के बिदा करके परे हीं,

अगिले बरस मईया फिर तोहके बुलाईम,

अभी त बिदा तोहके करे के परे हीं,


जईसे सूरूज बाटे गगनवा में माई,

अईसे तोहार बाट जोहे के परे हीं,

तोहार जुदाई माई हमार दिल के बर सताई,

पर तोहके माई बिदा करे के परे हीं,


जाये के दुखवा सहे के परे हीं,

माई तोहरा के बिदा करके परे हीं,

अगिले बरस मईया फिर तोहके बुलाईम,

अभी त बिदा तोहके करे के परे हीं 


कवि मनीष 

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Thursday 22 October 2020

चलो माता के द्वार भक्तों,

चलो माता के द्वार भक्तों,

माता करेंगी उद्धार भक्तों,


चलो माता के द्वार भक्तों,

चलो माता के द्वार,


माता के दर पे शीश नवाओ,

मन चाहे वर तुम पाओ,

हर घड़ी तुम अम्बे गुण गाओ,


अम्बे करेगी उद्धार भक्तों,


चलो माता के द्वार भक्तों,

चलो माता के द्वार भक्तों,

माता करेंगी उद्धार भक्तों,


चलो माता के द्वार भक्तों,

चलो माता के द्वार 


कवि मनीष 

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Wednesday 21 October 2020

करते हैं हम,

तेरी आरती,

करते हैं हम,

तेरी आरती,

ओ मईया भवानीं,

ओ मईया भवानीं,


तुझसे डरते हैं सारे दुर्जन,

करते हैं हम तेरा पूजन,


ओ मईया भवानीं,

ओ मईया भवानीं,


करती अम्बे तू सिंह की सवारी,

तू तो है माता अति चमत्कारी,


ओ मईया भवानीं,

ओ मईया भवानीं,


करते हैं हम,

तेरी आरती,

करते हैं हम,

तेरी आरती,

ओ मईया भवानीं,

ओ मईया भवानीं 


कवि मनीष 

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Monday 19 October 2020

 हे अम्बे माँ,

तू है दुःखहरणी माँ

भुजाओं में तेरे है महाबल,


तू है महाशक्ति माँ,

हे अम्बे माँ,

तू है दुःखहरणी माँ,


है ठंडक तुझमें सुबह की,

है तेज़ तुझमें दिवा की,


तू है कष्टहरणी माँ,

तू है दुःखहरणी माँ,


है सृष्टि तुझमें समाई,

तू है सबकी देवी माँ,


हे अम्बे माँ,

तू है दुःखहरणी माँ,

भुजाओं में तेरे है महाबल,


तू है महाशक्ति माँ,

हे अम्बे माँ,

तू है दुःखहरणी माँ 


कवि मनीष 

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Saturday 17 October 2020

माता ओ शेरोवाली,

है सबसे तू निराली,

है तू फूलों सी कोमल,

और है तू अग्नि की भी डाली,


माता ओ शेरोवाली,

है सबसे तू निराली,


है धधक तुझमें क्रोध की भी,

है ठंडक तुझमें चाँद की भी,

है तू तो ममता की वाणी,

है तू तो सबसे निराली,


माता ओ शेरोवाली,

है सबसे तू निराली,


माता ओ शेरोवाली,

है सबसे तू निराली 



आप सभी नवरात्रि की असीम शुभकामनाएँ 

कवि मनीष 

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Thursday 15 October 2020

 कठिन राह पे जो चलनें से नहीं डरते हैं,

पर्वतों की ऊँचाई से जो नहीं घबराते हैं,

एक दिन वो बनते हैं चमकता सूर्य,

जिसकी चमक से हर मंज़र जगमगाते हैं 


कवि मनीष 

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 भुजाओं में ताक़त है बेमिसाल,

जिसके ज्ञान के समक्ष टिकता है न कोई सवाल,

ज्ञान का अथाह सागर बहता है जिसमें,

हैं वो बजरंगी,हनुमान,पवनपुत्र,केसरी नंदन,अंजनी के लाल


कवि मनीष 

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Tuesday 13 October 2020

 क्या है सच और क्या झूठ इंसां को इससे क्या है मतलब,

आज के इंसां को तो सिर्फ़ ख़ुद से हीं है मतलब,

बस पेट भरनें को मिल जाए,

बाकि भाड़ में जाए दुनिया के सारे करतब


कवि मनीष 

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Sunday 11 October 2020

जटा से उसके निकलती है गंगा,

भुजंगधारी है वो मस्त मलंगा,

चंद्रमौली,गंगाधर,त्रिशूलधारी नाम हैं उसके अनेक,

है वो कैलाशी,पालनकर्ता त्रिलोक का,


कवि मनीष

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Friday 9 October 2020

है रात अंधेरी घनघोर तो क्या हुआ,

है कोई नहीं साथ तो क्या हुआ,

हम अपनें दम पर,

आसमान को झुका देंगे,


चमकते सूरज की रोशनीं को भी,

अपनीं चमक से फ़िका कर देंगे,

है पर्वतों सा अटल इरादा हमारा,

लहरें सर पटक कर अपनें घर को हीं जाएँगी, 


है रात अभी हावि तो क्या हुआ,

सुबह को अपनीं दहलीज़ पर एक दिन ज़रूर लाएँगे,


है रात अंधेरी घनघोर तो क्या हुआ,

है कोई नहीं साथ तो क्या हुआ,

हम अपनें दम पर,

आसमान को झुका देंगे,


चमकते सूरज की रोशनीं को भी,

अपनीं चमक से फ़िका कर देंगे 


कवि मनीष 

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Tuesday 6 October 2020

नदि बहती है चट्टानों को धकेलकर,

सूरज आता है अंधियारे को चीड़कर,

वैसे हीं जब मानवता होती है संकट में,

तब-तब आता है साईं ज़रूर धरती पर


कवि मनीष 

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Monday 5 October 2020

हर जीव में रहता है ईश्वर,

लेना किसी की जान सहता नहीं परमेश्वर,

अगर इंसान जीवों की जान यूँ ही लेता जाएगा, 


तो एक ना एक दिन उसका फल उसे अवश्य मिलेगा,


आज जिन निरीह पशुओं की जान तुमनें ली है,

तो याद रख,

हर पापी को सज़ा मिलती हीं मिलती है,

तेरे पापों की सज़ा तुझको,

इंसां हीं देगा,


और परमेश्वर लाठी की मार तुझे तेरे वास्तविक अंजाम तक ले जाएगा,


गुनहगार टिकता नहीं लंबे समय तक धरती पर,


हर जीव में रहता है ईश्वर,

लेना किसी की जान सहता नहीं परमेश्वर,

अगर इंसान जीवों की जान यूँही लेता जाएगा,


तो एक ना एक दिन उसका फल उसे अवश्य मिलेगा 


कवि मनीष 

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Saturday 3 October 2020

ओ माँ शेरोवाली,

ओ माँ पहाड़ावाली,

हैं तेरे अनेकों रूप,


जगत् को सारे चलाती है तू,

तेरी चमक छाई है हरसू,


तू है सबसे निराली,


ओ माँ शेरोवाली,

ओ माँ पहाड़ावाली,


अपनीं कृपा सदा बरसाना माँ,

सबके कष्ट तू हरना माँ,


किसी को भी ख़ाली न लौटाना माँ,


जो हैं तेरे दर आते सवाली,


ओ माँ शेरोवाली,

ओ माँ पहाड़ावाली,


हैं तेरे अनेकों रूप,


जगत् को सारे चलाती है तू,

तेरी चमक छाई है हरसू,


तू है सबसे निराली,


ओ माँ शेरोवाली,

ओ माँ पहाड़ावाली 


ओ माँ शेरोवाली,

ओ माँ पहाड़ावाली 


कवि मनीष 

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Friday 2 October 2020

एक था गाँधी,

जैसे आँधी,

दुबला-पतला सा,

पर डरता न ज़रा भी,


मशाल जली क्रांति की,

पर किसी से जली न सदा जी,

केवल एक नें जलाई जो मशाल क्रांति की,

वो जलती रही सदा जी,


उस मशाल के दहक में,

जल गए सारे ज़ालिम जी,

कहनें वाले तो कहते हीं हैं रहते,

पर था जो दम उसकी लाठी में,

वो था कहाँ गोले,बारूद में जी,


क्रांति तो बहोतों नें की,

पर उनमें था कहाँ वो दम जी,

जो था उस फ़कीर में जी,


जिसके सोंच के आगे,

झुक गया वक्त भी,


एक था गाँधी,

जैसे आँधी,

दुबला-पतला सा,

पर डरता न ज़रा भी 


महात्मा गाँधी जी के जयंती की अनंत शुभकामनाएँ 

कवि मनीष 

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छोटा सा था क़द,

और बुद्धि थी जैसे शमशीर,

हर अर्चन को जो देता था,

पल भर में चीड़,


था वो राष्ट्र की छतरी,

है कहता ज़माना जिसे लाल बहादुर शास्त्री,


था जो देश की ढ़ाल,

जवानों और कृषकों का दुलार,

हरता था जो पल भर में,

राष्ट्र की पीड़,


छोटा सा था क़द,

और बुद्धि थी जैसे शमशीर,

हर अर्चन को जो देता था,

पल भर में चीड़,


था जो देश का वसंत-बहार जी,

है कहता ज़माना जिसे लाल बहादुर शास्त्री,


था जो देश की छतरी,

है कहता ज़माना जिसे लाल बहादुर शास्त्री 


लाल बहादुर शास्त्री जी के जयंती की अनंत शुभकामनाएँ 


कवि मनीष 

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प्रेम जब पहुँचे हिर्दय की गहराई तक, पराकाष्ठा पहुँचे उसकी नभ की ऊँचाई तक, प्रेम अगर रहे निर्मल गंगा माई के जैसे, वो प्रेम पहुँचे जटाधारी के ...