Saturday, 31 October 2020

कल-कल है बहती चरणों से धारा अमृत की,

हैं माता भवानीं तो वट-वृक्ष जीवन की,

जिसके कर्म में छिपा है सत्कर्म,

वो मईया भवानीं हैं ज्योत तन-मन-धन की


कवि मनीष 

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