Thursday, 15 October 2020

 कठिन राह पे जो चलनें से नहीं डरते हैं,

पर्वतों की ऊँचाई से जो नहीं घबराते हैं,

एक दिन वो बनते हैं चमकता सूर्य,

जिसकी चमक से हर मंज़र जगमगाते हैं 


कवि मनीष 

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