भुजाओं में ताक़त है बेमिसाल,
जिसके ज्ञान के समक्ष टिकता है न कोई सवाल,
ज्ञान का अथाह सागर बहता है जिसमें,
हैं वो बजरंगी,हनुमान,पवनपुत्र,केसरी नंदन,अंजनी के लाल
कवि मनीष
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प्रेम जब पहुँचे हिर्दय की गहराई तक, पराकाष्ठा पहुँचे उसकी नभ की ऊँचाई तक, प्रेम अगर रहे निर्मल गंगा माई के जैसे, वो प्रेम पहुँचे जटाधारी के ...
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