Monday, 26 October 2020

खिलता है सुमन तो फैलती है सुगंध,

जब जगती है आशा खुल जाते हैं सारे किवाड़ बंद,

जो हिर्दय में बसाकर रखते हैं जगदम्बे को,

खोलती है जगदंबा उसके तक़दीर के ताले तुरंत


कवि मनीष 

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