Saturday, 15 February 2020

परम कृपालु, परम दयालु,
तुम हो,
मैं सागर और साहिल तुम हो,
सुगन्ध जो बिख़ेरता है वसंत,
वो खुशबू तुम हो,

हे हम सब के साईं,
तुम अनंत अम्बर हो,

हिर्दय से आराधना,
करता हूँ मैं तेरी,
तुम सब जानते हो,

परम कृपालु, परम दयालु,
तुम हो,
मैं सागर और तुम साहिल हो,
सुगन्ध जो बिख़ेरता है वसंत,
वो खुशबू तुम हो 

कवि मनीष 
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