Sunday, 23 February 2020

श्याम जब-जब,
तू बजाए बंसी,
मैं कभी हँसती,
तो कभी रोती,

तेरी बंसी जग में 
सारे प्रेम फैलाए,
सुख-दुःख के नयनों 
से नीर बहाए,

तेरी बंसी के तान में,
मैं अपनीं सुध-बुध ख़ोती,
तेरी बंसी के रागों में,
जीवन माला हूँ गूंथती,

श्याम जब-जब,
तू बजाए बंसी,
मैं कभी हँसती,
तो कभी रोती

कवि मनीष 
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