जहाँ रहता है वसंत-बहार,
है वो अम्बे का संसार,
जहाँ मनमोहक है हर छटा,
है वो जगदम्बे का दरबार,
ख़त्म है हो जाता जहाँ,
समस्त कष्टों का संसार,
बसता है जहाँ,
रंग-बिरंगे उपवन का संसार,
है वो अम्बे का संसार,
है वो जगदम्बे का दरबार,
जहाँ है रहता वसंत-बहार,
है वो अम्बे का संसार,
जहाँ मनमोहक है हर छटा,
है वो जगदम्बे का दरबार,
है वो अम्बे का संसार
कवि मनीष
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