आज डोनाल्ड ट्रंप आएँ तब यमुना माता की याद आई प्रधानमंत्री जी को,
तो मैनें ये रचना लिखी करके समर्पित यमुना माता को
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तो मैनें ये रचना लिखी करके समर्पित यमुना माता को
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मैं यमुना हूँ
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मैं यमुना हूँ,
मैं भी देवी हूँ,
यमुना माता हूँ,
मैं भी देवी हूँ,
यमुना माता हूँ,
सदियों से सब की,
प्यास बुझाती,
अमृत तुल्य जल
देती,
प्यास बुझाती,
अमृत तुल्य जल
देती,
पर आज मैं रोती हूँ,
अपनें संतानों को
देकर जीवन,
मैं पछताती हूँ,
अपनें संतानों को
देकर जीवन,
मैं पछताती हूँ,
मैंनें उनको दिया जीवन,
पर उसके बदले उन्होंने,
छीन लिया मेरा हीं जीवन,
पर उसके बदले उन्होंने,
छीन लिया मेरा हीं जीवन,
जब हैं आते अतिथी,
तब मेरी याद आती,
तब यमुना माता स्वच्छ होती,
तब मेरी याद आती,
तब यमुना माता स्वच्छ होती,
पर उसके पहले यमुना माता
सिर्फ़ रोती,
जैसे मेरी बहन गंगा तुम्हारे
पापों को है धोती,
सिर्फ़ रोती,
जैसे मेरी बहन गंगा तुम्हारे
पापों को है धोती,
मैं भी तो तुम्हारे हूँ,
पाप हरती,
तो मेरी क्यों हो करते
अवहेलना,
पाप हरती,
तो मेरी क्यों हो करते
अवहेलना,
तुमको मेरे साथ भी
है चलना,
मैं भी तुम्हारी माता हूँ,
है चलना,
मैं भी तुम्हारी माता हूँ,
मैं यमुना हूँ,
मैं भी देवी हूँ,
यमुना माता हूँ,
मैं भी देवी हूँ,
यमुना माता हूँ,
यमुना माता हूँ
कवि मनीष
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