है अनुपम तेरी छटा,
जैसे सहसा घिर है
आती काली घटा,
जो बरसती है घनघोर,
ये है आशीष तेरा,
है नहीं कुछ और,
चारों दिशा से आ
रही है आवाज,
शिव-शंकर है,
जग में बस तेरा हीं राज,
तेरी हीं कृपा से,
धरती पाती है हरियाली,
तेरी हीं लीला,
जग में लाती है खुशहाली,
है शिव अनुपम तेरी कृपा,
है अनुपम तेरी छटा,
जैसे सहसा घिर है
आती काली घटा,
जो बरसती है घनघोर,
ये है आशीष तेरा,
है नहीं कुछ और
कवि मनीष
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