Saturday, 28 December 2019



जीवन में खुले आशा के द्वारे,
जब मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम पधारें 

कवि मनीष 
**************************************




No comments:

Post a Comment

प्रेम जब पहुँचे हिर्दय की गहराई तक, पराकाष्ठा पहुँचे उसकी नभ की ऊँचाई तक, प्रेम अगर रहे निर्मल गंगा माई के जैसे, वो प्रेम पहुँचे जटाधारी के ...