Sunday, 29 December 2019

गंगा माई बसी है जटाओं में जिसके,
त्रिशूलधारी,त्रिनेत्रधारी,भुजंगधारी नाम हैं अनेक उसके

कवि मनीष 
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प्रेम जब पहुँचे हिर्दय की गहराई तक, पराकाष्ठा पहुँचे उसकी नभ की ऊँचाई तक, प्रेम अगर रहे निर्मल गंगा माई के जैसे, वो प्रेम पहुँचे जटाधारी के ...