पत्थर पर लिखें जो श्री राम तो पत्थर भी तर गएँ,
सारे संकट क्षणभर में हीं विलीन हो गएँ,
है अद्भुत शक्ति श्री राम नाम में,
इसकी शक्ति से पतझड़ भी वसंत बन गएँ
कवि मनीष
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प्रेम जब पहुँचे हिर्दय की गहराई तक, पराकाष्ठा पहुँचे उसकी नभ की ऊँचाई तक, प्रेम अगर रहे निर्मल गंगा माई के जैसे, वो प्रेम पहुँचे जटाधारी के ...
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