Sunday 3 January 2021

अनगिनत तारें भी मिलके दूर नहीं कर पाते अंधेरा,

पर एक चाँद कर देता है उजियारा हीं उजियारा,

भक्ति तो है रोशनीं का अथाह सागर,

पल भर में जो है कर देता सवेरा हीं सवेरा


कवि मनीष 

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