सूरज के प्रकाश में हो जाते हैं और तारें ओझल,
रोशनीं सूरज की हीं करती है सवेरा हर पल,
विश्वास पर हीं है टिकी दुनिया सारी,
विश्वास से हीं है दिखता चमत्कार साईं का हर पल
कवि मनीष
****************************************
प्रेम जब पहुँचे हिर्दय की गहराई तक, पराकाष्ठा पहुँचे उसकी नभ की ऊँचाई तक, प्रेम अगर रहे निर्मल गंगा माई के जैसे, वो प्रेम पहुँचे जटाधारी के ...
No comments:
Post a Comment