मानवता पर जब है होता ज़ुल्मो का प्रहार,
ख़तरे में जब है पड़ता सारा संसार,
तब जन्म लेता है,
एक फ़रिश्ता बनके इंसानियत का उपहार
क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनाएँ
कवि मनीष
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प्रेम जब पहुँचे हिर्दय की गहराई तक, पराकाष्ठा पहुँचे उसकी नभ की ऊँचाई तक, प्रेम अगर रहे निर्मल गंगा माई के जैसे, वो प्रेम पहुँचे जटाधारी के ...
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