Wednesday, 9 December 2020

मूर्छित पड़े लक्ष्मण को देख पर्वत दियो उठाए,

प्रेम देख बजरंगी का श्री राम लियो गले लगाए,

जेहके मन बहे प्रीत की धारा निर्मल,

ओहके जीते जी स्वर्ग मिल जाए


कवि मनीष 

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