Monday, 7 December 2020

बगिया जो होती है,भरी पुष्पों से रंग-बिरंगी,

बना देती है हर मन को रंग-बिरंगी,

और जो बसा कर हैं रखते मन में माता की छवि,

उनका हर दिन है होता है सतरंगी,उमंगी 


कवि मनीष 

****************************************




No comments:

Post a Comment

प्रेम जब पहुँचे हिर्दय की गहराई तक, पराकाष्ठा पहुँचे उसकी नभ की ऊँचाई तक, प्रेम अगर रहे निर्मल गंगा माई के जैसे, वो प्रेम पहुँचे जटाधारी के ...