Sunday, 13 December 2020

जीवन संग चले मृत्यु भी संग-संग,

जीवन के रहे न कभी एक समान रंग-ढ़ंग,

और जो बसावे राम भक्त के मन में,

ओहके जीवन नभ से बरसे वसंत-बहार हर क्षण


कवि मनीष 

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