Wednesday, 2 December 2020

जीवन की नाव प्रीत की नदि पर हीं है चलती,

मृत्यु सदा जीवन के साथ हीं है चलती,

जो महाकाल की करतें हैं भक्ति,

उन्हे मृत्यु कभी असमय नहीं है बुलाती


कवि मनीष 

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