Wednesday, 11 March 2020


किशन-कन्हैया गुलाल उड़ाए,
धड़-पकड़ कर गुलाल लगाए,
कभी पकड़े बहिंयां,
कभी चुनरी भिगाए,

किशन-कन्हैया गुलाल उड़ाए,

सांवला-सलोना है उसकी
चंचल अंखियां,
जैसे चाँद करता है,
बादलों में अटखेलियाँ,

कभी मोहे जलाए,
कभी मोहे सताए,
किशन-कन्हैया गुलाल उड़ाए,

किशन-कन्हैया गुलाल उड़ाए,
धड़-पकड़ कर गुलाल लगाए,
कभी पकड़े बहिंयां,
कभी चुनरी भिगाए,


किशन-कन्हैया गुलाल उड़ाए

कवि मनीष 
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