किशन-कन्हैया गुलाल उड़ाए,
धड़-पकड़ कर गुलाल लगाए,
कभी पकड़े बहिंयां,
कभी चुनरी भिगाए,
किशन-कन्हैया गुलाल उड़ाए,
सांवला-सलोना है उसकी
चंचल अंखियां,
जैसे चाँद करता है,
बादलों में अटखेलियाँ,
कभी मोहे जलाए,
कभी मोहे सताए,
किशन-कन्हैया गुलाल उड़ाए,
किशन-कन्हैया गुलाल उड़ाए,
धड़-पकड़ कर गुलाल लगाए,
कभी पकड़े बहिंयां,
कभी चुनरी भिगाए,
किशन-कन्हैया गुलाल उड़ाए
कवि मनीष
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