नारी तो है जननीं,
समय-समय पर जो
है दिखाती,
उसकी कथनीं हीं है,
उसकी करणीं,
पर आज की नारियों में,
वो समझ की थोड़ी कमीं है,
जो समझ वीरांगनाओं में है होती,
उस समझ की थोड़ी कमीं है,
आज की नारियों को,
लक्ष्मींबाई, इंदिरा, टेरेसा का पाठ
पढ़नें की ज़रूरत है,
ऐ आधुनिक नारी तभी बनेगी तू,
निडर सिंहनीं,
नारी तो है जननीं,
समय-समय पर जो
है दिखाती,
उसकी कथनीं हीं है,
उसकी करणीं
कवि मनीष
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