जब तू बंसी बजाए,
प्रेम हर ओर फैल जाए,
सारा गगन पल भर में,
ग़ुलाबी हो जाए,
जीवन से मुक्त हो जाए,
हर अर्चन,
हर ओर बज उठे,
मधुर सरगम,
मन मेरा निराला,
प्रेम गीत गाए,
जब मेरे गिरिधर तू,
मुरलीधर बन जाए,
जब तू बंसी बजाए,
प्रेम हर ओर फैल जाए,
सारा गगन पल भर में,
ग़ुलाबी हो जाए
कवि मनीष
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