Monday, 2 March 2020

मेरी भारत माँ,
के धरती पर,
गाता है जीवन,
लहराता है जीवन,
बलख़ाता है जीवन,

पशु,पक्षी सब,
रहते हैं हिल मिलकर,
जहाँ हरियाली है,
लहराती झूम झूमकर,

ऐसी माता के हैं,
हम संतान,
जिसके माला में हैं,
हर रंग के मोती,

जो बनाता है इसे महान,

आओ ! हम सब मिलकर,
भारत माँ का क़र्ज़ चुकाएँ,
द्वेष, नफ़रत और न हिंसा फैलाएँ,

हम सब हीं तो हैं इसका अभिमान,

हमारी भारत माँ हीं तो है,
हम सभी का जीवन दर्पण,

मेरी भारत माँ,
के धरती पर,
गाता है जीवन,
लहराता है जीवन,
बलख़ाता है जीवन 

कवि मनीष 
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