हे कृष्ण जब तू बंसी बजाए,
तेरी तान सब को लुभाए,
पर मेरे हिर्दय को,
तेरे बंसी ख़ूब रूलाए,
कहे मीरा कृष्ण से,
स्वप्न में दियो मोहे दर्शन,
क्यों सच में न समीप आए,
शूलों पर चली मैं,
और दिया सर्वस्व लुटाए,
पर जीते जी तू मुझको मिला न,
तो मैंनें मृत्यु को लिया गले लगाए,
आज समस्त संसार मोहे,
तुझसे जोड़ के मोहे बुलाए,
यही तो थी मोरे जीवन की कामना,
सो अब मोरा जीवन मोहे भाए,
हे कृष्ण जब तू बंसी बजाए,
तेरी तान सब को लुभाए,
पर मेरे हिर्दय को,
तेरी बंसी ख़ूब रूलाए
कवि मनीष
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