हर उपवन में सबसे अधिक जो महकता है,
आकाश में सबसे अधिक जो चमकता है,
वो साईं की है कृपा,
मिलती है हिर्दय से याद उसे जो करता है
कवि मनीष
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प्रेम जब पहुँचे हिर्दय की गहराई तक, पराकाष्ठा पहुँचे उसकी नभ की ऊँचाई तक, प्रेम अगर रहे निर्मल गंगा माई के जैसे, वो प्रेम पहुँचे जटाधारी के ...
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