एक खूबसूरत एहसास है प्रकृति,
हर एहसास से बेहद ख़ास है प्रकृति,
जब मिलता है भरपूर स्नेह इसको,
एक चमकती सुबह,दिन,शाम,रात है प्रकृति
कवि मनीष
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प्रेम जब पहुँचे हिर्दय की गहराई तक, पराकाष्ठा पहुँचे उसकी नभ की ऊँचाई तक, प्रेम अगर रहे निर्मल गंगा माई के जैसे, वो प्रेम पहुँचे जटाधारी के ...
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