Wednesday, 26 August 2020

 इंसानियत का है राज़ एहसास,

है वही इंसान ये है जिसके पास,

यही बनाता है आदमीं को ख़ुदा,

चलता है क़ायनात उसके साथ-साथ


कवि मनीष 

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