सत्य की ज़मीन सत्य को मिली,
सूरज को फिर से उसकी रोशनीं मिली,
अयोध्या बनीं फिर से अजेय,
राम लला के पैरों को कर स्पर्श आज अयोध्या को उसकी खोई पहचान मिली
श्री जन्म भूमि पूजन पर रचना
कवि मनीष
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प्रेम जब पहुँचे हिर्दय की गहराई तक, पराकाष्ठा पहुँचे उसकी नभ की ऊँचाई तक, प्रेम अगर रहे निर्मल गंगा माई के जैसे, वो प्रेम पहुँचे जटाधारी के ...
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