यादों में अक्सर जो आतें हैं,
वो हँसाते व रूलाते हैं,
पर जिनके यादों से है ज़िंदा जीवन,
वो साईं के भक्त कहलातें हैं
कवि मनीष
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प्रेम जब पहुँचे हिर्दय की गहराई तक, पराकाष्ठा पहुँचे उसकी नभ की ऊँचाई तक, प्रेम अगर रहे निर्मल गंगा माई के जैसे, वो प्रेम पहुँचे जटाधारी के ...
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