Friday, 21 August 2020

 एकदंत,गजानन,गणाधिप,लम्बोदर,

है जबतक सृष्टि अनंत,

तेरी सदा जय हो,

जब तक रहे तारों का अम्बर,


तेरी सदा जय हो,


हर क्षण तेरी महिमा मंडन हो,

तेरा मुख सदा हर जन का दर्पण हो,

सर्वप्रथम पूजनीय विधाता,

तेरी सदा जय हो,


एकदंत,गजानन,गणाधिप,लम्बोदर,

है जबतक सृष्टि अनंत,

तेरी सदा जय हो,

जब तक रहे तारों का अम्बर,


तेरी सदा जय हो 


कवि मनीष 

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