Monday, 16 November 2020

प्रेम हीं है बस एक सहारा जीवन का,

है नहीं दूजा कोई किनारा जीवन का,

है जिनके दिल में स्नेह माता रानी के लिए,

बन जाता है वो नज़ारा जीवन का


कवि मनीष 

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