जब पड़ी बरखा के बूंद भक्तन पर,
उठा दियो गोवर्धन कनिष्ठा पर,
भक्तन के आह के क्षण भर में है जे सुने,
पूजे समस्त जगत् ओके किशन-कन्हैया कह कर
गोवर्धन पूजा की अनंत शुभकामनाएँ
कवि मनीष
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प्रेम जब पहुँचे हिर्दय की गहराई तक, पराकाष्ठा पहुँचे उसकी नभ की ऊँचाई तक, प्रेम अगर रहे निर्मल गंगा माई के जैसे, वो प्रेम पहुँचे जटाधारी के ...
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