Monday, 23 November 2020

मैं हूँ समन्दर और तू किनारा है,
जनम-जनम का साथ हमारा है,
मैं हूँ पवन तो तू है सुगन्ध,
मैं तेरा और तू मेरा सहारा है 

कवि मनीष 
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