Tuesday, 24 November 2020

चंद्रमा की किरणें जो पड़ीं तो हो गईं वो भी और शीतल,

साथ है रहती जिसके ज्वाला और जल पल पल,

है बड़ा हीं अलौकिक,अद्भुत रूप उसका,

कहती है जिसे जगदम्बा सारी सृष्टि,अग्नि,वायु,गगन,जल और थल


कवि मनीष 

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