Saturday, 21 November 2020

गंगा जल से पावन है कछु नाही,

बिन गंगा माई के कोई न पूजन होई,

गंगा माई बाटे महादेव के सिरमौर,

बिन गंगा माई के गंगाधर भी प्रसन्न होवे नाही


कवि मनीष 

****************************************


No comments:

Post a Comment

प्रेम जब पहुँचे हिर्दय की गहराई तक, पराकाष्ठा पहुँचे उसकी नभ की ऊँचाई तक, प्रेम अगर रहे निर्मल गंगा माई के जैसे, वो प्रेम पहुँचे जटाधारी के ...